हरिद्वार समाचार प्रतिनिधि। जनपद के हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट के लिए कांग्रेस के दावेदारों में अचानक हड़कंप मच गया। इस प्रकार के हड़कंप से साल के पहले दिन चर्चा का विषय बना रहा। ग्रामीण विधानसभा सीट के दावेदारों में नववर्ष के पहले ही दिन अचानक हड़कम्प मच गया है। सूत्रों की माने तो इस की वजह हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड के हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत को करीब-करीब टिकट फाइनल होना बताया जा रहा है। जिसको लेकर दो दावेदारों ने तो अपना विरोध दर्ज कराया हैं कि अगर ऐसा हुआ तो उनको अपने समर्थकों के साथ बैठक कर निर्णय लेना पडेगा।
दोनों दावेदारों में बगावती तेवर देखे जा रहे हैं। इस चर्चा में कितना दम हैं यह तो कहा नहीं जा सकता, लेकिन इस बात की पुष्टि पार्टी स्तर पर अभी तक किसी ने नहीं की है। लेकिन शहर में चर्चाओं को बाजार गर्म है। इस चर्चा ने कांग्रेस के भीतर घमासान जरूर मचा दिया है। बताते चले कि नववर्ष के पहले दिन कांग्रेस पार्टी में हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट पर अनुपमा रावत का टिकट तय होने की खबर ने हड़कम्प मचा दिया।
शहर में चर्चा हैं कि हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत का हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट पर टिकट मिलना करीब-करीब तय कर लिया गया है। जिसको लेकर हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट पर अपनी-अपनी दावेदारी ठोकने वाले 18 दावेदारों में अनुपमा रावत के नाम को लेकर नाराजगी देखी गयी है। लेकिन हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट पर शहर के भीतर चल रही चर्चाओं पर कोई भी वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अभी कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है। जिस कारण हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट पर अनुपमा रावत के नाम टिकट तय हो जाने की पुष्टि अधिकारिक तौर पर नहीं हो सकी है।
शहर में हो रही चर्चाओं में कितना दम है यह तो कहा नहीं जा सकता। लेकिन इतना जरूर हैं कि दावेदारों में नाराजगी जरूर देखी जा रही है। दो दावेदारों ने कहा कि अगर पार्टी हाई कमान ने हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट पर अनुपमा रावत को टिकट दिया तो उनको अपने समर्थकों के साथ बैठक का निर्णय लेना पडेगा। वहीं अन्य दावेदारों का भी यही स्वर सुनाई दे रहा है।
अभी तक कांग्रेस पार्टी हाईकमान ने कोई निर्णय नहीं लिया, लेकिन शहर में इस तरह की चर्चाओं का आम होना कही न कही कांग्रेस के लिए अच्छे सकेंत नहीं है। इसके अलावा यह भी देखना होगा कि जनपद में फैल रही इस प्रकार की चर्चा पर रोक कैसे लग सकती है ताकि विपक्ष को राजनीति करने का मौका न मिले और पार्टी के अंदर भी असंतोष ना फैले।