नई दिल्ली/जेएनएस। लोकसभा चुनाव में अभी काफी समय है लेकिन विपक्षी पार्टिंयों के मुखियाओं की नजर जिस प्रकार से प्रधानमंत्री बनने की है उसे प्रशांत किशोर ने सिर्फ ख्याली पुलाव बताया है। दरअसल चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने 2024 में बीजेपी को हराने का विपक्षी दलों को एक फॉर्मूला साझा किया है। साथ ही उन्होंने कहा कि विपक्ष का मतलब सिर्फ कांग्रेस ही नहीं है, बल्कि दूसरी पार्टियां भी हैं। इसके बाद सभी को मिलकर तय करना चाहिए कि लीडर कौन होगा।
प्रशांत किशोर ने कहा, कि 2012 के कर्नाटक, 2017 के पंजाब, 2018 के मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान को छोड़कर पिछले 10 सालों में 50 से ज्यादा चुनावों (आम और राज्य दोनों) में कांग्रेस हार गई है। ये दिखाता है कि कांग्रेस ने जिस तरह से खुद को स्ट्रक्चर किया है, जिस तरह से चुनावों में वहां जनता तक पहुंचती है, लोगों से जुड़ती है, उसमें कुछ बुनियादी गड़बड़ी है। मैं ये सुझाव नहीं दूंगा कि पार्टी का अध्यक्ष कौन होना चाहिए? लेकिन पूरे विपक्ष का मतलब कांग्रेस नहीं है, उसमें और भी पार्टियां हैं। इस कारण उन्हें साथ मिलकर तय करना चाहिए कि अध्यक्ष कौन होगा?
पीके ने कहा कि, कांग्रेस ने 1984 के बाद कोई भी आम चुनाव नहीं जीता है। भले ही पार्टी ने उसके बाद 15 साल शासन किया हो। 1989 में कांग्रेस को 198 सीटें मिलीं लेकिन सरकार नहीं बनी। 2004 में कांग्रेस को केवल 145 सीटें मिलीं और कांग्रेस ने गठबंधन में सरकार चलाई, तब एक पार्टी के रूप में उसका ग्राफ गिर रहा है। एक पार्टी के रूप में कांग्रेस का जो स्ट्रक्चर है, जो फैसले लेने के तरीके हैं, उस बदलने की जरूरत है। कांग्रेस जैसी पार्टी में तीन साल से अंतरिम अध्यक्ष है, क्या ये सही कदम है? इसके लिए आपको किसी प्रशांत किशोर या किसी और की सलाह की जरूरत नहीं है। आप जिसे भी चुनें वहां फुलटाइम प्रेसिडेंट होना चाहिए।
इस दौरान प्रशांत किशोर ने ममता बनर्जी के यूपीए खत्म वाले बयान पर कहा कि, ये तो वहीं बता सकती हैं कि उन्होंने ऐसा क्यों कहा? लेकिन 2004 में सरकार चलाने के लिए यूपीए अस्तित्व में आया था। उस समय ये नहीं था कि सरकार न रहने के लिए भी सब साथ रहने वाले हैं, हां, अगर ये दोनों स्थितियों के लिए था तो फिर से इसके काम करने के तरीके पर विचार करने का समय आ गया है। क्योंकि अब परिस्थितियां बदल गईं हैं। उस समय जो यूपीए का हिस्सा थे, उनमें से कई अब नहीं हैं और जो नहीं थे वहां आ गए हैं।
पीके ने कहा कि, बीजेपी के खिलाफ एक साथ कई सारी पार्टियों का आ जाना ही काफी नहीं है। असम में इस साल विधानसभा चुनाव हुआ। महागठबंधन बना लेकिन वहां हार गया। हम सभी ने यूपी में देखा, 2017 में सपा, बसपा और दूसरी पार्टियां साथ आईं और हार गईं, इस कारण अतीत में जो हुआ, उस देखकर सीखना होगा। केवल कई पार्टियों का एकसाथ आ जाना बीजेपी के खिलाफ जीत का पक्का नुस्खा नहीं है। इसके लिए आपको एक चेहरा चाहिए, एक विचार होना चाहिए, आंकड़े होने चाहिए और मशीनरी होनी चाहिए, अगर आपके पास ये चारों हैं, तब आप बीजेपी के खिलाफ चुनौती खड़े कर सकते हैं।