मुंबई। महान सुर साधिका भारत रत्न लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को हुआ था। भारत की सबसे लोकप्रिय और आदरणीय गायिका थी, जिनका छः दशकों का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा पड़ा है। हालांकि लता जी ने लगभग तीस से ज्यादा भाषाओं में फिल्मी और गैर-फिल्मी गाने गाए हैं लेकिन उनकी पहचान भारतीय सिनेमा में एक पार्श्वगायिका के रूप में रही है। अपनी बहन आशा भोंसले के साथ लता जी का फिल्मी गायन में सबसे बड़ा योगदान रहा है। लता की जादुई आवाज के भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ पूरी दुनिया में दीवाने हैं। टाईम पत्रिका ने उन्हें भारतीय पार्श्व गायन की अपरिहार्य और एकछत्र साम्राज्ञी स्वीकार किया है। भारत सरकार ने उन्हें ‘भारतरत्न’ से सम्मानित किया था। इनकी मृत्यु कोविड से जुड़े जटिलतों से 6 फरवरी 2022 को मुम्बई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में हुई। वे कुछ समय से बीमार थी। उनकी महान गायकी और सुरम्य आवाज के दीवाने पूरी दुनिया मे है। लोग उन्हें प्यार से उन्हें ‘लता दीदी’ कहकर पुकारते हैं।
लता का जन्म गोमंतक मराठा समाज परिवार में, मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में सबसे बड़ी बेटी के रूप में पंडित दीनानाथ मंगेशकर के मध्यवर्गीय परिवार में हुआ। उनके पिता रंगमंच एलजीके कलाकार और गायक थे। इनके परिवार से भाई हृदयनाथ मंगेशकर और बहनों उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर और आशा भोंसले सभी ने संगीत को ही अपनी आजीविका के लिए चुना। हालांकि लता का जन्म इंदौर में हुआ था लेकिन उनकी परवरिश महाराष्ट्र में हुई। वह बचपन से ही गायक बनना चाहती थी। बचपन में कुन्दन लाल सहगल की एक फिल्म चंडीदास देखकर उन्होंने कहा था कि वो बड़ी होकर सहगल से शादी करेगी। पहली बार लता ने वसंग जोगलेकर द्वारा निर्देशित एक फिल्म कीर्ती हसाल के लिये गाया। उनके पिता नहीं चाहते थे कि लता फिल्मों के लिये गाये इसलिये इस गाने को फिल्म से निकाल दिया गया। लेकिन उसकी प्रतिभा से वसंत जोगलेकर काफी प्रभावित हुये।
पिता की मृत्यु के बाद (जब लता सिर्फ तेरह साल की थी), लता को पैसों की बहुत किल्लत झेलनी पड़ी और काफी संघर्ष करना पड़ा। उन्हें अभिनय बहुत पसंद नहीं था लेकिन पिता की असामयिक मृत्यु की कारण से पैसों के लिये उन्हें कुछ हिन्दी और मराठी फिल्मों में काम करना पड़ा। अभिनेत्री के रूप में उनकी पहली फिल्म पाहिली मंगलागौर (1942) रही, जिसमें उन्होंने स्नेहप्रभा प्रधान की छोटी बहन की भूमिका निभाई। बाद में उन्होंने कई फिल्मों में अभिनय किया जिनमें, माझे बाल, चिमुकला संसार (1943), गजभाऊ (1944), बड़ी मां (1945), जीवन यात्रा (1946), मांद (1948), छत्रपति शिवाजी (1952) शामिल थी। बड़ी मां, में लता ने नूरजहाँ के साथ अभिनय किया और उसके छोटी बहन की भूमिका निभाई आशा भोंसले ने। उन्होंने खुद की भूमिका के लिये गाने भी गाये और आशा के लिये पार्श्व गायन किया।
वर्ष 1942 ई में लताजी के पिताजी का देहांत हो गया इस समय इनकी आयु मात्र तेरह वर्ष थी। भाई बहिनों में बड़ी होने के कारण परिवार की जिम्मेदारी का बोझ भी उनके कंधों पर आ गया था। दूसरी ओर उन्हें अपने करियर की तलाश भी थी। जिस समय लताजी ने (1948) में पार्श्वगायिकी में कदम रखा तब इस क्षेत्र में नूरजहां, अमीरबाई कर्नाटकी, शमशाद बेगम और राजकुमारी आदि की तूती बोलती थी। ऐसे में उनके लिए अपनी पहचान बनाना इतना आसान नही था। लता का पहला गाना एक मराठी फिल्म कीति हसाल के लिए था, मगर वो रिलीज नहीं हो पाया।
1945 में उस्ताद गुलाम हैदर (जिन्होंने पहले नूरजहां की खोज की थी) अपनी आने वाली फिल्म के लिये लता को एक निर्माता के स्टूडियो ले गये जिसमे कामिनी कौशल मुख्य की भूमिका निभा रही थी। वे चाहते थे कि लता उस फिल्म के लिये पार्श्व गायन करे। लेकिन गुलाम हैदर को निराशा हाथ लगी। 1947 में वसंत जोगलेकर ने अपनी फिल्म आपकी सेवा में लता को गाने का मौका दिया। इस फिल्म के गानों से लता की खूब चर्चा हुई। इसके बाद लता ने मजबूर फिल्म के गानों ‘अंग्रेजी छोरा चला गया’ और ‘दिल मेरा तोड़ा हाय मुझे कहीं का न छोड़ा तेरे प्यार ने’ जैसे गानों से अपनी स्थिती सुदृढ की। हालांकि इसके बावजूद लता को उस खास हिट की अभी भी तलाश थी।
1949 में लता को ऐसा मौका फिल्म ‘महल’ के ‘आयेगा आने वाला’ गीत से मिला। इस गीत को उस समय की सबसे खूबसूरत और चर्चित अभिनेत्री मधुबाला पर फिल्माया गया था। यह फिल्म अत्यंत सफल रही थी और लता तथा मधुबाला दोनों के लिये बहुत शुभ साबित हुई। इसके बाद लता ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
शीर्ष पुरस्कारों से नवाजा गया-
-फिल्म फेयर पुरस्कार (1958, 1962, 1965, 1969, 1993 और 1994)।
-राष्ट्रीय पुरस्कार (1972, 1975 और 1990)।
-महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार (1966 और 1967)
-1969 – पद्म भूषण।
-1974- दुनिया में सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज बुक रिकॉर्ड।
-1989- दादा साहब फाल्के पुरस्कार।
-1993- फिल्म फेयर का लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार।
-1996- स्क्रीन का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार।
-1997- राजीव गांधी पुरस्कार।
-1999- एनटीआर पुरस्कार।
-1999- पद्म विभूषण।
-1999- जी सिने का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार।
-2000- आईआईएएफ का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार।
-2001- स्टारडस्ट का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार।
-2001- भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’।
-2001- नूरजहां पुरस्कार, -2001- महाराष्ट्र भूषण।