नई दिल्ली। जब कोई बैंक डूबता था तो लोग हमारा गला पकड़ते थे यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित ‘डिपॉजिटर्स फर्स्ट’ कार्यक्रम में कही। पीएम ने कहा कि उनकी सरकार ने दशकों से चली आ रही बड़ी समस्या का समाधान कर लोगों को बड़ी राहत दी है।
उन्होंने कहा कि दशकों तक जब देश में कोई बैंक डूबता था तो लोगों के पास पछताने के अलावा कुछ नहीं बचता था। लेकिन अब उन्हें बैंक डूबने पर 5 लाख रुपए तक की राशि वापस मिलेगी।
दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित ‘डिपॉजिटर्स फर्स्टः गारंटीड टाइम-बाउंड डिपॉजिट इंश्योरेंस पेमेंट अप टू 5 लाख रुपए’ कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा कि आज का दिन उसका साक्षी बन रहा है। कोई भी देश समस्याओं का समय पर समाधान करके ही उन्हें
विकराल होने से बचा सकता है।
पीएम मोदी ने कहा, ‘मुझे बराबर याद है। मैं मुख्यमंत्री रहा हूं। उस समय जब कोई बैंक में तूफान खड़ा हो जाता था, तो लोग हमारा ही गला पकड़ते थे। या तो निर्णय भारत सरकार को करना होता था या उस बैंक वालों। लेकिन लोग मुख्यमंत्री को पकड़ते थे। हमारे पैसों का कुछ करो। उस समय इस तरह की काफी परेशानियां रहती थीं। उनका दर्द भी बहुत स्वाभाविक था।’
आगे पीएम मोदी ने कहा, ‘जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था तो उस समय भारत सरकार से बार-बार रिक्वेस्ट करता था कि 1 लाख की राशि को बढ़ाकर 5 लाख रुपए करना चाहिए। ताकि अधिकतम परिवारों को संतुष्ठ कर सकें। लेकिन मेरी बात नहीं मानी गई, उन्होंने नहीं किया तो… लोगों ने किया, मुझे यहां भेज दिया और मैंने कर भी दिया।’ उन्होंने कहा कि देश में वर्षों तक एक प्रवृत्ति रही कि समस्याओं को टाल दो। आज का नया भारत, समस्याओं के समाधान पर जोर लगाता है, आज भारत समस्याओं को टालता नहीं है।
90 दिनों में मिलेगी रकम-
पीएम मोदी की मानें हमारे देश में बैंक डिपॉजिटर्स के लिए इंश्योरेंस की व्यवस्था 60 के दशक में बनाई गई थी। पहले बैंक में जमा रकम में से सिर्फ 50 हजार रुपए तक की राशि पर ही गारंटी थी, फिर इसे बढ़ाकर एक लाख रुपए कर दिया गया था। यानी अगर बैंक डूबा, तो जमाकर्ताओं को सिर्फ एक लाख रुपए तक ही मिलने का प्रावधान था।
ये पैसे भी कब मिलेंगे, इसकी कोई समय सीमा नहीं तय थी। गरीब की चिंता को समझते हुए, मध्यम वर्ग की चिंता को समझते हुए हमने इस राशि को बढ़ाकर फिर 5 लाख रुपए कर दिया। पहले जहां पैसा वापसी की कोई समय सीमा नहीं थी, अब हमारी सरकार ने इसे 90 दिन यानी 3 महीने के भीतर अनिवार्य किया है। यानी बैंक डूबने की स्थिति में भी, 90 दिन के भीतर जमाकर्ताओं को उनका पैसा वापस मिल जाएगा।