चंडीगढ़/कुंवर सिंह। पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस की कैंपेन कमेटी के चेयरमैन बने सुनील जाखड़ पर पार्टी में सस्पेंस बरकरार है। दरअसल, जाखड़ ने चेयरमैन बनने के बावजूद अभी तक न तो पार्टी का धन्यवाद किया है और न ही यह स्पष्ट किया कि वह जिम्मेदारी को स्वीकार कर रहे हैं या नहीं। हिंद की चादर गुरु तेग बहादुर जी के शहीदी दिवस पर जाखड़ ने ट्वीट कर उन्हें श्रद्धांजलि दी, लेकिन साथ ही सस्पेंस और बढ़ा दिया। उन्होंने गुरु जी को श्रद्धांजलि देकर लिखा ‘पंजाब में धर्म, जाति, पहचान के आधार पर भेदभाव, असमानता की झूठी भावना पैदा करने वालों के विरुद्ध लड़ना जारी रखने का संकल्प लेता हूं।’
जाखड़ ने ट्वीट के जरिए अपना ‘दर्द’ पार्टी को बता दिया है, क्योंकि हिंदू होने के कारण कांग्रेस ने उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया और इस बात के लिए पार्टी हाईकमान पर अंबिका सोनी ने दबाव बनाया था। तब भी जाखड़ ने गुरु तेग बहादुर जी की शहीदी का ही उदाहरण दिया था। जाखड़ ने अपने ट्वीट से साफ संकेत दे दिए हैं कि उनकी लड़ाई जारी रहेगी। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो सका है, कि वह पार्टी में रहकर ही अपना संघर्ष जारी रखने वाले हैं, या फिर वह किसी दूसरे विकल्प के बारे में विचार कर रहे हैं।
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जाखड़ का रुख पार्टी के लिए चिंता का कारण बना हुआ है, क्योंकि पार्टी ने न सिर्फ जाखड़ को कैंपेन कमेटी का चेयरमैन बनाया है, बल्कि उन्हें स्क्रीनिंग कमेटी का सदस्य भी बनाया है। जाखड़ के करीबी सूत्र बताते हैं कि वह पार्टी के मंच से ही अपनी लड़ाई को जारी रखने वाले है। कांग्रेस नेता भी जानते हैं कि जाखड़ की नाराजगी 2022 के चुनाव में पार्टी पर भारी पड़ सकती है, क्योंकि हिंदू कांग्रेस से दूर हो गया है। पार्टी चाहकर भी हिंदू समाज का विश्वास नहीं जीत पा रही है। पार्टी के पास जाखड़ सरीखा कोई हिंदू चेहरा भी नहीं है। इसके बाद अगर जाखड़ पार्टी के साथ दिल से नहीं चले तो कांग्रेस की परेशानी बढ़ सकती है। उल्लेखनीय है कि पंजाब में 43 प्रतिशत हिंदू (दलित भी शामिल) वोट बैंक विधानसभा चुनाव में हमेशा ही निर्णायक भूमिका अदा करता है। पंजाब विधानसभा का इतिहास बताता है कि हिंदू जब कांग्रेस के साथ आया है, तब तक कांग्रेस ने पंजाब में सरकार बनाई है।