नई दिल्ली (जेएनएस)। सरकारी कंपनी एलआईसी के आईपीओ की राह में अब एक नई मुश्किल खड़ी हो गई है। बीएसई और एनएसई पर एलआईसी के शेयरों की लिस्टिंग से पहले आईपीओ का विरोध कर रहे पॉलिसी होल्डर्स सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। ये पॉलिसी होल्डर्स एलआईसी आईपीओ पर रोक लगाने की मांग कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका स्वीकार कर ली है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने एलआईसी आईपीओ पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। एनजीओ ने पॉलिसी होल्डर्स की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, इसे सुनवाई के लिए स्वीकार किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को स्वीकार कर गुरुवार को सुनवाई के लिए लिस्ट किया था। गुरुवार को जब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई, तब पॉलिसी होल्डर्स की ओर से सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान ने बहस की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि सरकार ने जिस तरह से मनी बिल लाकर एलआईसी आईपीओ लाने का वैधानिक रास्ता तैयार किया, इसके ऊपर भी विचार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, एलआईसी के साथ लोगों के अधिकार जुड़े हुए हैं, इसके बाद आईपीओ लाने के लिए मनी बिल के जरिए रास्ता नहीं तैयार किया जा सकता है।
वकील इंदिरा जयसिंह ने भी बहस में हिस्सा लेकर एलआईसी आईपीओ के विरोध में दलीलें दीं। उन्होंने कहा कि पॉलिसी होल्डर्स से तथाकथित नॉन पार्टिसिपेटिंग सरप्लस के नाम पर 523 लाख करोड़ रुपये डायवर्ट किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, कंपनी का मालिकाना हक बदल रहा है और यह नए हाथों में जा रही है। इसे शेयर होल्डर्स को बेचा जा रहा है। इससे जो पैसा मिलेगा, वह पॉलिसी होल्डर्स के पास नहीं जाएगा। सारा पैसा भारत सरकार के बजट को बैलेंस करने में खर्च होगा।
इंदिरा जयसिंह ने कहा कि अगर सरकार एलआईसी को बेचना चाहती है, तब इसके लिए डी-म्यूचुअलाइजेशन की प्रक्रिया को अपनाना चाहिए था। अगर किसी म्यूचुअल बेनेफिट वाली कंपनी को लीगली ज्वाइंट स्टॉक कंपनी में बदला जा रहा है, तब इससे मिलने वाले पैसों पर पॉलिसी होल्डर्स का हक है। वैधानिक सवाल ये उठता है कि कंपनी का मालिक कौन है? वे ये नहीं कह सकते कि उन्होंने 2 फीसदी या 3 फीसदी शेयर पॉलिसी होल्डर्स को दिया है।
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने मोदी सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि एलआईसी आईपीओ पर रोक नहीं लग सकती है। उन्होंने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि इस मामले में कोई नोटिस नहीं दिया जा सकता है। उन्होंने, कृपया नियमों को देखिए। ये देखें कि इंश्योरेंस बिजनेस के सरप्लस को किस तरह से इस्तेमाल किया जाता है। जयसिंह ने पूछा, पिछले 75 साल से क्या प्रैक्टिस रही है? उन्होंने जोड़ा, सरकार एलआईसी के पॉलिसी होल्डर्स के लिए ट्रस्टी की भूमिका में है। हमारे अधिकारों को इस तरह से नहीं कुचला जा सकता है। यह कहना वैलिड नहीं है कि हमने याचिका दायर करने में देरी की है।
बता दें कि इस आईपीओ को सभी कैटेगरी में इन्वेस्टर्स से बढ़िया रिस्पॉन्स मिला है। आईपीओ को सबसे ज्यादा सब्सक्रिप्शन पॉलिसी होल्डर्स की कैटेगरी में ही मिला। इस कैटेगरी में आईपीओ को 6.05 गुना सब्सक्राइब किया गया। इसी तरह एलआईसी के कर्मचारियों के लिए रिजर्व रखे गए हिस्से को 4.36 गुना सब्सक्राइब किया गया। रिटेल इन्वेस्टर्स का हिस्सा भी 1.97 गुना सब्सक्राइब किया गया। कुल मिलाकर एलआईसी आईपीओ को 2.93 गुना सब्सक्रिप्शन मिला।