राजीव नामदेव –
कोई शख्श पोस्टमार्टम के बाद भी जीवित हो सकता है ? राजस्थान के झुंझुनू में हैरान कर देने वाला यह मामला सामने आया है। जहां एक व्यक्ति को मृत घोषित करउसका पोस्टमार्टम कर दिया गया इसके बाद उसे डीप फ्रीज़र में रख गया। लेकिन अंतिम संस्कार के लिए जब उसे चिता पर लिटाया गया तो वह जीवित हो गया। मामले में तीन चिकित्सक को निलंबित किया गया है।
राजस्थान के झुंझनू स्थित मां सेवा संस्थान में रहने वाला रोहिताश दिव्यांग और मानसिक रूप से कमज़ोर था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, गुरुवार को उसे अचेत अवस्था मे उपचार के लिए राजकीय बीडीके अस्पताल की इमरजेंसी में लाया गया। जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद शव को अस्पताल की मोर्चरी में शिफ़्ट करा दिया गया।
बताया गया कि करीब दो घन्टें बाद शव को कथित पोस्टमार्टम के बाद अंतिम संस्कार के लिए संस्थान को सौंप दिया गया। लेकिन अंतिम संस्कार के दौरान वह जीवित हो गया। शव में सांसे चलती और हरक़त देख यहां मौज़ूद लोगों में हड़कंप मच गया। आनन फ़ानन उसे अस्पताल ले जाया गया। जहां उसे आइसीयू में ले जाया गया, लेकिन आख़िरकार उसकी मौत हो गई।
चिकित्सकों से लेकर पोस्टमार्टम पर उठे सवाल ?
दिव्यांग और मूक बधिर युवक के इस प्रकार मृत घोषित होने और पोस्टमार्टम के बाद जीवित होने पर कई सवाल उठ रहे हैं। दरअसल रोहिताश को अचेत अवस्था में अस्पताल लाया गया था। जहां उसे चिकित्सक ने मृत घोषित कर दिया। ऐसे में पहला सवाल यह कि क्या वह उस समय मर चुका था ? इसके बाद बताया गया कि शव को सर्दी में करीब दो घन्टे डीप फ्रीज़र में रखा गया दूसरा सवाल की कोई शख्श डीप फ्रीज़र में दो घन्टे जीवित रह सकता है ? क्या डीप फ्रीज़र खराब था ? सबसे बड़ा सवाल की क्या उसका पोस्टमार्टम किया गया ? पोस्टमार्टम के बाद कोई भी कैसे जीवित हो सकता है ? क्या बिना पोस्टमार्टम के ही खानापूर्ति कर उसके शव को अंतिम संस्कार के लिए संस्थान को सौंप दिया गया। वहीं मामला संज्ञान में आने के बाद शासन ने तीन चिकित्सकों को निलंबित करते हुए मामले की जांच के आदेश दिए हैं।