बहरीन में आयोजित तृतीय यूथ एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारत की बालिका कबड्डी टीम में शामिल निरंजनपुर गांव निवासी भूमिका सैन ने संघर्षों के बाद अंतरराष्ट्रीय फलक पर अपनी पहचान बनाई है। शिक्षा और कबड्डी के अभ्यास के लिए रोजाना साइकिल पर 16 किमी का सफर करने वाली भूमिका राह में आने वाली बाधाओं और चुनौतियों को पार कर सफलता की नई इबारत लिखने वाली भूमिका आज ग्रामीण अंचल की बालिकाओं के लिए रोल मॉडल बन गई हैं।
लक्सर ब्लॉक के निरंजनपुर गांव की भूमिका सैन साधारण किसान परिवार से आती हैं। उनके पिता सुरेंद्र कुमार किसान हैं। घर में सबसे बड़ी भूमिका को परिजन ताशु के नाम से बुलाते हैं। परिवार में माता बबीता सैन और दो छोटे भाई बहन हैं। लंढौरा स्थित निजी कॉलेज में बीए द्वितीय वर्ष की छात्रा भूमिका ने बताया कि उन्होंने हाईस्कूल तक की शिक्षा भिक्कमपुर के मदर मैरी स्कूल और इंटरमीडिएट की शिक्षा गुरुकुल नारसन स्थित निजी कॉलेज में प्राप्त की। शिक्षा और कबड्डी की प्रैक्टिस के लिए वह निरंजनपुर से रोजाना 8 किमी साइकिल चलाकर भिक्कमपुर जाती थीं। कॉलेज के साथ ही कबड्डी की प्रैक्टिस के बाद देर शाम को वह 8 किमी साइकिल से वापस गांव लौटती थी। कई बार घर लौटने पर परिजन नाराजगी भी जताते थे। इस दौरान गांव के लोगों ने भी परिजन को टोका। लेकिन इससे उनका मनोबल कम नहीं हुआ। बल्कि उन्होंने कबड्डी को ही अपना कॅरियर बनाने का दृढ निश्चय किया। उनके मनोबल और लगन को देख परिजनों ने भी उनका सहयोग किया। कबड्डी के अभ्यास और समय को देखते हुए उन्हांने स्नातक की पढ़ाई प्राइवेट करने का फैसला लिया। वर्ष वर्ष 2021 में राज्य टीम में चयन होने के बाद उन्हांने पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसके बाद राष्ट्रीय और अब अंतरराष्ट्रीय टीम में चयन होने के बाद उनका लक्ष्य अब ओलंपिक में पदक जीतने का है। भूमिका ने बताया कि उनका सपना ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करने और देश के लिए ओलंपिक मेडल जीतने का है। इसके लिए वह कड़ी मेहनत कर रहीं हैं। अपनी सफलता का श्रेय वह परिजन और अपने कोच सुमित मुखिया को देती हैं।
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संघर्ष से सफलता तक भूमिका बनी रोल मॉडल
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