राजीव नामदेव –
राजनीति में कब, कहां क्या बदल जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। हरिद्वार जनपद में कुछ ऐसा ही नज़ारा है। यहां निकाय चुनाव में अध्यक्ष की सीटों पर आरक्षण ने कइयों का खेल बिगाड़ दिया है। कल तक ठहाके लगाते हुए जीत का दावा करते नज़र आए कई दावेदार अब दौड़ से ही बाहर होने के बाद उदास हैं।
आरक्षण के चलते कल तक पार्टी में टिकट पक्का करने के लिए भागदौड़ में जुटे कई दावेदार अचानक रेस से बाहर होकर घर बैठ गए हैं। इसके साथ ही नेताओं के पीछे उनकी दौड़ भी थम सी गई है। जोर शोर से तैयारी में जुटे कई दावेदार जहां मायूस नज़र आ रहे हैं वहीं कुछ की प्राथमिकताएं बदल गईं हैं। ऐसे ही देहात की सीट पर टिकट की दावेदारी मज़बूत करने को नेताजी की परिक्रमा में लगे छोटे नेताजी ने बड़े नेताजी की शान में आयोजन की तैयारी की थी।
आयोजन में भीड़ जुटाने और बड़े नेताजी के आगे नंबर बढाकर टिकट पक्का करने की तैयारी के बीच कुर्सी मेज़, टैंट, हलवाई से लेकर नगर में बड़े – बड़े फ्लैक्स लगवाने के लिए एडवांस तक दिए जाने की चर्चा है। बताया गया कि आयोजन पर मोटा खर्च होना था। छोटे नेताजी आयोजन के बहाने टिकट पक्का कराने की तैयारी किए बैठे थे, आयोजन में जुटी भीड़ से समर्थन मिलने की आस अलग से लगाए थे। लेकिन हाय री किस्मत ऐन वक्त पर दग़ा कर गई। सीट रिजर्व होते ही छोटे नेताजी दौड़ से बाहर हो गए। झटका ऐसा लगा कि दो दिन दिखाई न दिए और जब घर से निकले तो सबसे पहला काम बड़े नेताजी की शान में होने वाला आयोजन कैंसिल किया। जो एडवांस दिया वह वापस मांगा। बताया गया की टैंट और हलवाई ने ब्याह का कार्यक्रम छोड़ उनका कार्यक्रम पकड़ने से नुकसान का हवाला देते हुए एडवांस वापस करने में असमर्थता जताई। हालांकि फ्लैक्स के पैसे बच गए। फिलहाल छोटे नेताजी चुनाव लड़ने की तैयारी पर हुए खर्च का हिसाब किताब लगाने में लगे हैं।