राजीव नामदेव –
निकाय चुनाव के लिए अभी तारीखों का एलान नहीं हुआ है। लेकिन राजनीतिक दलों में तैयारियां तेज़ी से चल रहीं हैं। सत्ताधारी भाजपा और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस दोनों ही दलों ने पर्यवेक्षक और चुनाव प्रभारियों की तैनाती के साथ ही संभावित प्रत्याशियों को टटोलना शुरू कर दिया है।
सूबे की सत्ता पर काबिज़ भाजपा में टिकट के लिए ज्यादा मारामारी नज़र आ रही है। निकाय अध्यक्ष से लेकर वार्ड सभासद के टिकट के लिए यहां दावेदार स्थानीय पदाधिकारियों से लेकर राजधानी तक दौड़ लगा रहे हैं। वहीं, कांग्रेस में टिकट को लेकर भाजपा जैसी मारामारी तो नहीं है, वार्ड सभासद के लिए दावेदारी कर रहे दावेदार आश्वासन के साथ निश्चिन्त नज़र आ रहे हैं। लेकिन अध्यक्ष पद के लिए दावेदारों के बीच यहां प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही है।
इन सबके बीच दोनों ही दलों में संगठन के पदाधिकारी और आला नेता संभावित प्रत्याशियों की राजनीतिक और आर्थिक स्थिति टटोल रहे हैं। जिताऊ प्रत्याशी की तलाश में राजनीतिक सक्रियता के साथ आर्थिक स्थिति को महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है। विशेषकर लंबे समय से विपक्ष में रहते सीमित संसाधनों के साथ मैदान में उतर रही कांग्रेस के लिए लिए दावेदारों की आर्थिक स्थिति के खास मायने हैं। माना जा रहा है कि दोनों ही दलों में टिकट पाने के लिए दावेदारों की सामाजिक राजनीतिक सक्रियता के अलावा चुनावी खर्च भी महत्त्वपूर्ण कारक होने जा रहा है। पार्टियों से जुड़े सूत्रों की मानें तो कांग्रेस में टिकट पाने के लिए दावेदारों को राजनीतिक और सामाजिक सक्रियता, स्थानीय मुद्दों और वोटों पर पकड़, जातीय समीकरण के साथ साथ आर्थिक रूप से मजबूत होना भी रेस में आगे निकलने में मदद कर सकता है। जाहिर है कि दोनों ही दलों में टिकट पाने के लिए दावेदारों की आर्थिक स्थिति एक्स फैक्टर साबित हो सकती है। हालांकि दोनों ही दलों शीर्ष नेताओं का कहना है कि सभी सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए पार्टी के समर्पित और जिताऊ उम्मीदवारों को मैदान में उतारा जाएगा।