राजीव नामदेव –
तिरुपति बालाजी मंदिर में मिलने वाले प्रसादम में अपशिष्ट मिले घी के इस्तेमाल की खबरों के बीच खाद्य सुरक्षा विभाग हरिद्वार जनपद स्थित एक घी फैक्ट्री की जांच कर रहा है। इसी फैक्ट्री से तिरुपति बालाजी मंदिर को घी की आपूर्ति होने की जानकारी है। लेकिन घी की कीमत को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं।
तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसाद के रूप में मिलने वाले लड्डू में इस्तेमाल होने वाले घी में पशु चर्बी और फ़िश ऑयल जैसे अपशिष्ट पाए जाने के आरोप के बाद यह मुद्दा देश भर में चर्चाओं में है। करोड़ों लोगों की आस्था और भावनाओं से जुड़े इस मुद्दे पर बहस के बीच आरोपों की सत्यता की जांच और पुष्टि होना बाकी है। मामला फिलहाल उच्चतम न्यायालय में है, लेकिन इस बीच मंदिर में प्रसाद के लिए उत्तराखंड के हरिद्वार जनपद के भगवानपुर तहसील के चौल्ली शहाबुद्दीन गांव स्थित भोले बाबा आर्गेनिक डेयरी प्रोडक्ट नामक फैक्ट्री से घी की आपूर्ति होने की जानकारी के बाद हड़कंप मचा हुआ है।
रविवार को स्थानीय खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम और इसके बाद सोमवार को केंद्रीय खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने फैक्ट्री पहुंचकर जांच की। हालांकि फैक्ट्री प्रबंधन की ओर से बीते एक माह से फैक्ट्री में उत्पादन बंद होने की जानकारी दी गई है। जांच टीम को यहां कुछ खास मिला नहीं है। जिसके चलते कई सवाल उठ रहे हैं। फैक्ट्री में अचानक उत्पादन बंद हो जाने, कर्मचारियों अधिकारियों के नहीं मिलने पर सवाल हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि बाज़ार में 800 से 1200 रुपए प्रति किलोग्राम तक मिलने वाला घी 300 – 350 रुपए प्रति किलो तक कैसे बिक रहा है। डेयरी संचालकों की मानें तो एक लीटर शुद्ध घी तैयार करने में 12 लीटर दूध प्रयोग होता है। एक किलोग्राम शुद्ध घी की लागत 600 रुपए से अधिक होती है। लिहाज़ा 300 – 350 रुपए में एक किलोग्राम शुद्ध घी मिलने का सवाल ही नहीं उठता। ऐसे में जाहिर है कि शुद्ध घी के नाम पर बड़ा खेल विभाग की नाक तले खेला जा रहा है।