राजीव नामदेव –
उत्तराखंड में नगर निकाय चुनाव में इस बार निकाय अध्यक्ष और मेयर के 30 पद ओबीसी ( अन्य पिछड़ा वर्ग ) के लिए आरक्षित हो सकते हैं। निकाय चुनाव के लिए सरकार के अध्यादेश को राजभवन से स्वीकृति मिलने के बाद अब आरक्षण के निर्धारण की प्रक्रिया शीघ्र शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है।
उत्तराखंड में 11 नगर निगम, 46 नगर पालिका और 45 नगर पंचायतों ने चुनाव होने हैं। सरकार के अध्यादेश को राजभवन से स्वीकृति मिलने के बाद अगले साल जनवरी माह में निकाय चुनाव होने की संभावना जताई जा रही है। इस बीच ओबीसी आरक्षण को लेकर सेवानिवृत्त न्यायाधीश बीएस वर्मा की अध्यक्षता में गठित एकल समर्पित आयोग सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप चुका है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, एकल सदस्य आयोग की रिपोर्ट में 11 नगर निगम में 1 पद अनुसूचित जाति, 2 पद ओबीसी और 8 पद सामान्य जाति के लिए निर्धारित किए गए हैं । जबकि 45 नगर पालिकाओं में 6 पद अनुसूचित जाति, 1 पद अनुसूचित जनजाति, 13 पद ओबीसी व 25 पद सामान्य वर्ग के लिए हैं। इसके अलावा 46 नगर पंचायतों में अनुसूचित जाति के लिए 6, अनुसूचित जनजाति के लिए 1, ओबीसी के लिए 15 और सामान्य वर्ग के लिए 24 पद निर्धारित किए गए हैं। इस तरह निकाय चुनाव में ओबीसी वर्ग के लिए 30 पद निर्धारित हैं। यदि आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक़ आरक्षण तय हुआ तो इस बार ओबीसी वर्ग का प्रतिनिधित्व बढ़ सकता है। साथ ही रिपोर्ट के अनुसार नगर पालिकाओं में सामान्य वर्ग के पूर्व के मुकाबले अध्यक्ष पद 3 अधिक बढ़कर 25, ओबीसी के लिए 1 बढ़कर 13, नगर पंचायतों में 1 अधिक 24, ओबीसी के लिए एक घटकर 15 हो सकती है। आरक्षण का फार्मूला आबादी के मुताबिक़ तय किया गया है। हालांकि शासन की ओर से अभी आरक्षण जारी कर सुझाव और आपत्तियां मांगी जानीं शेष हैं। कौन सी सीटें आरक्षित होंगी इसके लिए अभी इंतज़ार करना होगा। आपत्तियों के निस्तारण के बाद सीटों की वास्तविक तस्वीर साफ़ हो जाएगी।