गुरुवार को निकाय चुनाव का मतदान संपन्न होने के साथ ही करीब तीन सप्ताह से चला आ रहा चुनावी शोर थम पूरी तरह से थम गया। 21 जनवरी को चुनाव प्रचार थमने के बाद भी प्रत्याशी डोर टू डोर जनसंपर्क करने में जुटे थे। बीते करीब दो सप्ताह से गली मौहल्लों में दौड़ लगा रहे प्रत्याशी और उनके समर्थक गुरुवार को नजर नहीं आए। गली मौहल्लों में लग रही चुनावी चौपाल और बैठकों की रौनक के इतर रात के समय सन्नाटा पसरा रहा। शुक्रवार को प्रत्याशियों ने अपनी थकान उतारी। इस दौरान समर्थकों का आना जाना चुनाव कार्यालय और प्रत्याशियों के घरों पर लगा रहा। प्रत्याशियों ने समर्थक और पार्टी कार्यकर्ताओं से फीडबैक लिया, साथ ही शनिवार को होने वाली मतगणना की तैयारियां भी चलती रहीं।
वहीं, शुक्रवार को दिन भर व देर शाम तक लोग चुनावी चर्चाओं में मशगूल नजर आए। सरकारी, गैरसकारी संस्थानों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों से लेकर गली मौहल्लों में लोग मतदान के बाद गुणा भाग में लगे रहे। किस प्रत्याशी को कहां से कितने वोट मिले, किसको कहां कितना नुकसान हुआ इन सब पर चर्चाएं चलती रहीं। समर्थक मतदान के आंकड़े गिनाते रहे। अधिकांश समर्थकों की ओर से अपने - अपने प्रत्याशियों की जीत के दावे किए गए। फिलहाल अब सभी को शनिवार को होने वाली मतगणना का इंतजार है।
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जो मौहल्ले थे वीरान अब वहां पसर रहा है सन्नाटा
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